अगस्त ११ की याद मे
इस बार गुरुवार को!
11 अगस्त 1992 को दिल्ली मे आई.टी .ओ. के सामने एड्स भेदभाव विरोधी आन्दोलन के नेतृत्व में एक विरोध प्रदर्शन हुआ क्योंकि दिल्ली पुलिस ने कनौट प्लेस के सेंट्रल पार्क में मिलने-जुलने वाले समलैंगिक पुरुषों पर रेड की थी. ऐसा माना जाता है कि दिल्ली मे यह पहला ऐसा प्रदर्शन था जिसमे लोग पुलिस उत्पीडन के विरोध मे सयुंक्त रूप से सामने आए यह होते हुए भी कि इनमें से कुछ ही अपने आपको खुद समलैंगिक मानते थे.
लगभग बीस साल गुजर गए हैं. आज हम किस प्रकार और कैसे सार्वजानिक स्थानों को देखते है? उन पर अधिकार जताते हैं? बहुत सी चीज़ें बदल गई हैं पर एक चीज़ जो नहीं बदली वह है 11 अगस्त का महत्त्व. उस दिन जो मुद्दे उठाये गए थे वो आज भी दिल्ली के क्वीयर लोगो के लिए बहुत खास हैं.
11 अगस्त की याद में आयोजित एक खुली चर्चा मे सब आमंत्रित है. विरोध प्रदर्शन और एक्टिविज्म के बदलते चरित्र और कल्चर पर बातें होंगी. इस चर्चा में कोई विशेषज्ञों का दल या भाषण नहीं होगा बल्कि हम ही में से कुछ चर्चाकर होंगे जो अपने विचारों और अलग-अलग जनान्दोलोनो के अपने अनुभवों से हमारे विचारों को उत्तेजित करेंगे. इनमे से कुछ लोग हैं: जया शर्मा (निरंतर), नैसर्गि दवे, विमल भाई (राष्ट्रीय जनांदोलन संघठन) और कलि (डार्ट).
गुरूवार, अगस्त ११ I शाम 7 - 9 बजे
द एटिक , 36 रीगल बिल्डिंग
संसद मार्ग, नई दिल्ली
मेट्रो: राजीव चौक